सेबी और SEBI new Margin rules क्या है ?

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सेबी ( SEBI ) मतलब Security Exchange Board ऑफ़ India. अगर आप share market में है तो SEBI के बारे में सुनते है. सेबी का main काम है की जो Share market में invest कर रहा है (investor) उसके हितो की रक्षा करना. जुलाई 2020 में SEBI new Margin rules की वजह से ट्रेडर और investors में में बहुत सारे doubts आये है.

Investors के doubts यानि संदेह को आपको आसान भाषा में समझाने के लिए हमने ये article बनाया है की SEBI new Margin rules क्या है.

सेबी फुल फॉर्म

SEBI का फुल फॉर्म Security Exchange Board India यानि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड भी कहा जाता है.सेबी का main काम शेयर बाजार में निवेशक को सुरक्षा प्रदान करना है.

SEBI को स्थापित करने का मुख्य कारण शेयर बाजार को धोखाधड़ी से सुरक्षित रखना था.

सेबी क्या है ?

सेबी एक Regulatory बोर्ड है .जो सिक्योरिटीज मार्केट में शेयर की खरीदी-बिक्री पर निंयत्रण रखता है. SEBI मतलब ( Security and Exchange Board ऑफ़ India).

SEBI से पहले ऐसा कोई रेगुलेटरी नहीं था जो शेयर बाजार पर नज़र रख सके . इसीलिए सेबी से पहले शेयर बाजार में बहुत सारे Fraud धोखाधड़ी हुई है . शेयर बाजार के बढ़ते fraud और स्कैम को रोकने के लिए government ने एक ऐसी संस्था का गठन किया, जो ट्रेडर्स और निवेशकों की शिकायतों को सुने और जो व्यक्ति या कंपनी फ्रॉड या धोखाधड़ी करे उसके ऊपर कड़ी से कड़ी कारवाई करे ,उसके ऊपर जुर्माना लगाए और प्रतिबन्ध करे.

सेबी की स्थापना 1992 के प्रावधानों के अनुसार अप्रैल 12, 1992 को हुई थी . शेयर मार्केट की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए सेबी की स्थापना की गई थी .

SEBI की स्थापना हुई थी तो सेबी की शुरूवाती पूंजी 7.5 करोड़ थी.मतलब 7.5 करोड़ रुपए में सेबी की स्थापना हुई थी.और यह जो पूंजी थी यह तीन प्रमुख companies ने दी थी. इसका मतलब सेबी में ICICI, IDBI और IRCI इन तीन कंपनियों मुख्य निवेशक थे इन कंपनियों के द्वारा उस समय 7.5 करोड़ रुपए की पूंजी सेबी को सुरु करने के लिए दिया था.

सेबी का मुख्यालय मुंबई के Bandra कुर्ला काम्प्लेक्स में है . इसके दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और अहमदाबाद में क्षेत्रीय कार्यालय है.

SEBI सिक्योरिटीज मार्केट में शेयर की खरीदी-बिक्री पर निंयत्रण रखता है. इसके अलावा वित्तीय बाजार (Finical market),म्यूच्यूअल Fund इन सब मामलो में दोखाधड़ी न हो इसीलिए सब पर नज़र रखता है.

बोर्ड के सदस्य

सेबी के बोर्ड में कुल 9 सदस्य है .

  • अध्यक्ष जो भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया गया है .अभी के अध्यक्ष श्री अजय त्यागी है .( अगस्त २०२० )
  • केन्द्रीय वित्त मंत्रालय से 2 सदस्य.
  • रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से 1 सदस्य.
  • भारत सरकार द्वारा 5 सदस्ययो का चयन किया जाता है. ईन में से ३ सदस्य सेबी के लिए फुल टाइम कार्य करते है.

सेबी New Margin Rules

सेबी का जन्म Investor के प्रोटेक्शन के लिए किया गया है . कुछ ब्रोकर्स हाली में डिफ़ॉल्ट हुए तो शायद उसी वजह से SEBI ने न्यू रूल्स लाये ऐसा भी हो सकता है .

1 सितंबर 2020 से सेबी ने मार्जिन ट्रेडिंग ( SEBI new margin rules ) के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं जो 1 सितंबर 2020 से लागु हो जायेंगे.

  • SEBI के पुराने नियम नुसार केवल शेयर खरीदने पर ही मार्जिन का नियम था शेयर बेचने के तुरंत बाद आप उसी पैसे से तुरंत दूसरा शेयर खरीद सकते थे.
  • अब SEBI new margin rules के नुसार आप दूसरा Share तभी खरीद पाएंगे जब आपके हुए शेयर का पैसा आपके खाते में आ जाएगा यानी दो दिन ( T +2 दिन )बाद आप नया शेयर खरीद कर पाएंगे.
  • एक सितंबर से अगर आप शेयर बेचते हो तो आपको इस पर कम से कम 20 % या शेयरों के गिरवी के रूप में मार्जिन देना होगा.

इस rule से काफी दिक्कत आ सकती है . यह rule Investors के हित में नहीं है इस में सुधार की आवश्यकता है. सेबी के इस rule ने खास कर के जो छोटे ( रिटेल )Investors है उनकी कमर तोड़ दी है.

  • अगर कोई डीमैट में शेयरों के सामने ट्रेडिंग करना चाहता है या कुछ शेयरों को वापस लेना चाहता है, तो आपको ब्रोकर को केवल A , B , C श्रेणी के शेयरों को गिरवी रखना होगा इसके बिना कोई भी शेयरों के सामने ट्रेडिंग नहीं कर सकते है.
  • गिरवी (pledge) वाले शेयर आपके डीमैट खाते में दिखाई देंगे. कितने शेयर्स गिरवी रखने है उसके ऊपर ट्रेडिंग के लिए लिमिट मिलेंगी.
  • पहले ब्रोकर डीमैट में रखे शेयरों पर लिमिट देता था  लेकिन अब सेबी ने निवेशकों के हित में इस नियम को बदल दिया हैअब निवेशकों को ब्रोकर को अपना मार्जिन दिखाना अनिवार्य है.

SEBI new margin rules का असर किस पर होगा ?

सेबी के नए rules Investors के हित में नहीं है .सेबी के इस नियम ने Brokers के साथ रिटेल Investors की चिंता बढ़ा दी है.

रिटेल Investors इसलिए ज्यादा प्रभावित होंगे क्योंकि उनके पास मार्जिन के लिए पैसे जुटाना मुश्किल है इससे बाजार में नए और पुराने निवेशकों पर मार पड़ेगी.

आसान भाषा में असर कैसे होगा में आपको एक example के रूप में बताता हु. मान लीजिए किसी ने मंगलवार को 1000 रुपए के शेयर बेचे अब उसे इसे बेचने से पहले 200 रुपए का कैश मार्जिन Exchange को देना होगा .जब तक वह इस मार्जिन को नहीं देता तब तक शेयर नहीं बेच पाएगा.

पहले यह था कि आपने आज शेयर बेचा और आज ही दूसरा शेयर खरीद लिया.शेयर बेचने के तुरंत बाद आप उसी पैसे से तुरंत दूसरा शेयर खरीद सकते थे.मतलब हमने जो पुराना शेयर बेचा उसी price को नए शेयर के साथ settle किया जाता था.

आसान भाषा में SEBI new margin rules समझाने की कोशिश मैंने की है आशा करता हु आपको हमारा ये article अच्छा लगा हो .

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